गुरुवार, 5 मई 2011

चित्रों की प्रदर्शनी

कुछ नया करने का प्रयास चल रहा है . फ़िलहाल अभी तो ललित कला गैलरी दिल्ली में दिनांक १३ से १९ मार्च २०११ तक मेरे चित्रों की प्रदर्शनी चली है . इस प्रदर्शनी का आयोजन बहुत ही संक्षिप्त समय की सूचना पर करना पड़ा, लम्बे समय से दिल्ली की किसी कला दीर्घा में मेरा प्रदर्शनी का आयोजन नहीं हो पाया था, इसलिए यह न्योता स्वीकार करना पड़ा इसका लाभ यह रहा की काफी अच्छे दर्शक लम्बे समय के अन्तराल के उपरांत मेरे चित्रों की प्रदर्शनी देखने आये. यही एक एसा अवसर भी था जब खरीददार तो नहीं आये लेकिन प्रशंषकों की आवाजाही खूब रही.
ललित कला दीर्घा के परिवर्तित नियम कायदे बढे हुए किराये ने काफी झकझोरा पर कला जब तक दुनिया या दर्शकों के मध्य नहीं जाती तब तक उसका मूल्याङ्कन ही कैसे होगा. इसबार मूल्याङ्कन का मौका था जिसे दूर दर्शन और आकाशवाणी ने खूब प्रचारित किया .

मेरठ से डॉ. अर्चना अपनी शिष्यायों के और हमारी पुरानी छात्रा गुंजन सिंघल गुरगांव से जल्दी आकर दिन में ही चले गए 

मेरठ से डॉ. अर्चना अपनी शिष्यायों के और हमारी पुरानी छात्रा गुंजन सिंघल गुरगांव से जल्दी आकर दिन में ही चले गए 

श्रीमती अनुजा यादव दीप प्रज्वलित करते हुए 

अतिथियों को संबोधित करते हुए 

मुख्य अतिथि का संबोधन 

मुख्य अतिथि का संबोधन 

मुख्य अतिथि का चित्रों का निरीक्षण तथा कलाकार का संबोधन 

मुख्य अतिथि का चित्रों का निरीक्षण तथा कलाकार का संबोधन 

मुख्य अतिथि का चित्रों का निरीक्षण तथा कलाकार का संबोधन 

मुख्य अतिथि का चित्रों का निरीक्षण तथा कलाकार का संबोधन 
जिसमें -चौथी दुनिया के संपादक संतोष भारतीय ने उद्घाटित कर चित्रों का मान बढ़ाया.